झारखंड की राजधानी रांची से करीब 20 किलोमीटर दूर एक ऐसी शांत जगह है, जो हाल के वर्षों में ना केवल धार्मिक महत्व के लिए बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य और स्थानीय पर्यटन के लिए भी प्रसिद्ध होती जा रही है। हम बात कर रहे हैं "माराशिली पहाड़" की, जो उलातू पंचायत के उनिडीह गांव के पास स्थित है। यह जगह धीरे-धीरे शहर के युवाओं के लिए पिकनिक और हैंगआउट स्पॉट बन रही है, तो वहीं धार्मिक आस्था रखने वालों के लिए भी यह स्थल एक गहरा भावनात्मक जुड़ाव रखता है।
स्थान और भूगोलिक विशेषताएं
माराशिली पहाड़ रामपुर बाजार से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर और रांची शहर से लगभग 15 से 20 किलोमीटर दूर स्थित है। यह पहाड़ लगभग 230 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। इसके एक ओर हरे-भरे खेत फैले हुए हैं, तो दूसरी ओर घना जंगल और पेड़-पौधों की हरियाली इसकी प्राकृतिक सुंदरता में चार चांद लगाते हैं। यह पहाड़ अपनी ऊंचाई और शांति के कारण न केवल सुकून देता है, बल्कि शहर की भागदौड़ से दूर कुछ समय बिताने का एक बेहतरीन ठिकाना बन चुका है।
शिवलोक धाम मंदिर – श्रद्धा का केंद्र
पहाड़ की चोटी पर स्थित है एक प्राचीन मंदिर, जिसे "शिवलोक धाम" कहा जाता है। यह मंदिर स्थानीय लोगों की गहरी आस्था का केंद्र है। मंदिर की दीवारें करीब 4 फीट चौड़ी हैं, जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह निर्माण कितना पुराना और मजबूत है। यहां भगवान शिव की पूजा होती है और सावन के महीने में दूर-दराज से श्रद्धालु यहां जल चढ़ाने के लिए आते हैं। महाशिवरात्रि के दिन यहां एक भव्य मेला भी लगता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
रहस्यमयी कुंड और उनकी गहराई
माराशिली पहाड़ पर आठ छोटे-बड़े कुंड हैं, जिनमें एक बड़ा कुंड विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र है। इस कुंड के बारे में कहा जाता है कि इसका पानी कभी नहीं सूखता। यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि इसकी गहराई जानने के लिए एक बार सात खटिया की रस्सी डाली गई, लेकिन फिर भी तल तक नहीं पहुंचा जा सका। यह रहस्य आज भी लोगों के मन में जिज्ञासा बनाए रखता है।
इन कुंडों के आसपास का वातावरण अत्यंत शुद्ध और शांतिपूर्ण होता है। सुबह-सुबह पक्षियों की चहचहाहट और हवा में हरियाली की खुशबू, मन को एक अलग ही सुकून देती है।
गुफा: प्राकृतिक चमत्कार और तापमान का संतुलन
इस पहाड़ के एक ओर एक गुफा भी स्थित है, जिसकी लंबाई करीब 12 फीट, चौड़ाई 8 फीट और ऊंचाई करीब 8 से 10 फीट है। इस गुफा की सबसे खास बात यह है कि इसका वातावरण गर्मियों में ठंडा और सर्दियों में गरम रहता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह एक प्राकृतिक थर्मल नियंत्रण का बेहतरीन उदाहरण हो सकता है।
स्थानीय लोग इस गुफा को आध्यात्मिक शक्ति का केंद्र मानते हैं और यहां आकर ध्यान लगाते हैं। युवा भी आजकल इस गुफा को देखने के लिए विशेष रूप से यहां आते हैं।
पौराणिक कथाएं और इतिहास
माराशिली पहाड़ से जुड़ी कई लोककथाएं प्रचलित हैं। सबसे प्रसिद्ध कथा यह है कि महर्षि वाल्मीकि एक बार इस क्षेत्र से गुजर रहे थे। वह यहीं रुक कर तपस्या करने लगे और "राम राम" का जप कर रहे थे। लोगों ने उनके जप को "मरा मरा" समझा और तभी से इस पहाड़ का नाम "माराशिली" पड़ गया। इस प्रकार, यह स्थान न केवल प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है बल्कि पौराणिक कथाओं से भी जुड़ा हुआ है।
इसके अलावा कुछ लोग यह भी मानते हैं कि यह स्थल कभी ऋषियों और साधकों का तपस्थल रहा है। यहां आज भी एक ऐसी सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है, जो मानसिक शांति प्रदान करती है।
पर्यटन की संभावनाएं और विकास की आवश्यकता
शिवलोक धाम ट्रस्ट के अध्यक्ष दयानंद राय बताते हैं कि इस स्थल को धार्मिक और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है। इससे न केवल इस क्षेत्र को पहचान मिलेगी, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे। कई जनप्रतिनिधि यहां आकर विकास का आश्वासन दे चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्य नहीं हुआ है। अगर यहां पक्की सड़क, पीने के पानी की व्यवस्था, शौचालय, रेस्ट एरिया, मार्ग संकेतक और सुरक्षा इंतजाम किए जाएं तो यह जगह ना केवल झारखंड बल्कि पूरे भारत के पर्यटन नक्शे में एक महत्वपूर्ण नाम बन सकती है।
युवाओं का नया फेवरेट हैंगआउट जोन
लॉकडाउन के बाद जब ज़्यादातर पर्यटन स्थल बंद हो गए थे, तब शहर के कई युवा इस पहाड़ पर समय बिताने आने लगे। धीरे-धीरे यह ट्रेंड बन गया और अब हर वीकेंड पर हजारों लोग, खासकर युवा, अपने दोस्तों या परिवार के साथ यहां घूमने आते हैं। पहाड़ की चोटी से दिखाई देने वाला प्राकृतिक दृश्य, शांत वातावरण और ट्रैकिंग जैसी गतिविधियों ने इसे नया पिकनिक डेस्टिनेशन बना दिया है।
सावधानियां भी जरूरी हैं
- हालांकि यह स्थल अत्यंत सुंदर और शांत है, लेकिन कुछ सावधानियां बरतना बेहद जरूरी है:
- पहाड़ की बनावट ऐसी है कि बाइक और कार ऊपर तक जाती हैं, लेकिन चढ़ाई का कोई पक्का रास्ता नहीं है, इसलिए वाहन सावधानी से चलाएं।
- कुंड बहुत गहरे हैं, इसलिए जिन्हें तैरना नहीं आता, उन्हें पानी में नहीं उतरना चाहिए।
- युवाओं को पहाड़ की ढलानों पर स्टंट करने से बचना चाहिए, क्योंकि थोड़ी सी लापरवाही जानलेवा हो सकती है।
- चूंकि यह एक धार्मिक स्थल भी है, इसलिए स्थल की मर्यादा और स्वच्छता बनाए रखना सबकी जिम्मेदारी है।
माराशिली पहाड़ झारखंड का वह अनमोल रत्न है, जो अभी तक पर्यटकों की मुख्यधारा से अछूता है। इसकी हरियाली, रहस्यमयी कुंड, प्राचीन मंदिर और शांत वातावरण इसे एक आदर्श धार्मिक और पर्यटन स्थल बनाते हैं। अगर प्रशासन और स्थानीय लोग मिलकर इसे व्यवस्थित रूप से विकसित करें, तो यह झारखंड के प्रमुख आकर्षणों में एक बन सकता है। यह स्थान न केवल पर्यटन को बढ़ावा देगा, बल्कि स्थानीय लोगों के आर्थिक जीवन को भी बेहतर बना सकता है। साथ ही आने वाली पीढ़ियां भी इस अद्भुत धरोहर को जान और अनुभव कर सकेंगी।