एक्सआईएसएस में डॉ. कुमार सुरेश सिंह ट्राइबल रिसोर्स सेंटर का उद्घाटन
यह रिसोर्स सेंटर राज्य के ट्राइबल समुदाय के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह रिसोर्स सेंटर डॉ. कुमार सुरेश सिंह के नाम पर है, उन्हें काफी नजदीक से जानने का माैका मिला। जिन्होंने खुद सर्वे कर जानकारी जुटाए व अपने अनुभव से किताबें लिखी हैं। उनहोंने ट्राइबल हितों के लिए हमेशा खड़े रहे। लेकिन हम उन्हें याद नहीं करते हैं। आपको रिसर्च करना चाहिए कि एक्ट हाेने बाद भी आदिवासियों की जमीन जा रही है। इसमें कहां कमी है, पता लगाइए। ये बातें राज्य के वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने कही। मौका था एक्सआईएसएस, रांची में डॉ. कुमार सुरेश सिंह ट्राइबल रिसोर्स सेंटर के उद्घाटन कार्यक्रम का। इसमें मुख्य अतिथि के रूप में वित्त मंत्री झारखंड सरकार डॉ. रामेश्वर उरांव, राज्य सभा सांसद डॉ. महुआ माजी, संस्थान के डायरेक्टर डॉ. जोसफ मारियानुस कुजूर, डीन एकेडमिक्स डॉ. अमर ई. तिग्गा, प्रोफेसर जेएनयू डॉ. जोसेफ बाड़ा, डॉ. कुमार सुरेश सिंह की पत्नी बिमलेश्वरी सिंह, पुत्र ध्रुव सिंह आदि उपस्थित रहे।

झारखंड को समझने के लिए डॉ. कुमार सुरेश सिंह की पुस्तकों और लेखों को पढ़ना जरुरी है-डॉ. महुआ माजी
डॉ. महुआ माजी ने कहा कि झारखंड को समग्र रूप से समझने के लिए डॉ. कुमार सुरेश सिंह की पुस्तकों और लेखों को पढ़ना जरुरी है, उनका हमारे देश के लिए बहुत बड़ा योगदान है। आदिवासियों पर उनकी लिखी किताबें हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण हैं और सभी को इसे पढ़ना चाहिए। एक्सआईएसएस के निदेशक डॉ. जोसफ मारियानुस कुजूर ने कहा शोधकर्ताओं, छात्रों व राज्य के बारे में अधिक जानने की इच्छा रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए यह रिसोर्स सेंटर बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा। डॉ. सिंह की विद्वता का कद ऐसा है कि आदिवासी विषय पर कोई भी शोध उनके काम को पढ़े बिना पूरा नहीं होता। हम वास्तव में स्वर्गीय डॉ. के.एस. सिंह के अकादमिक दुनिया, विशेष रूप से आदिवासी समाज के विकास के लिए उनके योगदान और उनके मूल्यवान संग्रह को एक्सआईएसएस में दान देने के लिए उनके परिवार के आभारी हैं।
सेंटर में है 3500 किताबें, 400 से अधिक हस्तलिपियां
एक्सआईएसएस में स्थित यह संसाधन केंद्र दुनिया भर के शोधकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान होगा जो झारखंड की संस्कृति को और करीब से जानना चाहते है। इसमें लगभग 3500 किताबें, 400 से अधिक हस्तलिपियां हैं। जिनमें बिरसा मुंडा, भारत में जनजातीय आंदोलन, भारतीय जनजातीय समाज आदि सहित कई विषयों पर डॉ. कुमार सुरेश सिंह के हस्तलिखित और टाइप किए गए नोट्स उपलब्ध हैं। संसाधन केंद्र को डिजिटल बनाने की प्रक्रिया चल रही है जिससे दुनिया भर से इच्छुक लोग इससे जुड़ सकेंगे।