रांची के 23 वर्षीय प्रमोद प्रिय रंजन ने बनाया इनोवेटीव मेंस्ट्रुअल कप, एक कप का इस्तेमाल 5 सालाें तक कर सकेंगी महिलाएं

– अब प्रमाेद के स्टार्टअप को मिलेगा 50 लाख तक का ग्रांट
– रांची में ही होगा प्रोडक्ट का बीटा टेस्टिंग
-एक मेंस्ट्रुअल कप पांच साल तक चलेगा
-लगभग 700 सेनेटरी नैपकिन के बराबर है एक मेंस्ट्रुअल कप
रांची के 23 वर्षीय प्रमोद प्रिय रंजन ने इनोवेटीव मेंस्ट्रुअल कप तैयार किया है। इस एक कप का इस्तेमाल महिलाएं और युवतियां पूरे 5 सालाें तक कर सकेंगी महिलाएं यानि कि एक मेंस्ट्रुअल कप करीब 700 सेनेटरी नैपकिन के बराबर हाेगा। इस बेहतरीन इनाेवेशन के कारण
प्रमोद प्रिय रंजन के स्टार्टअप का चयन 50 लाख रुपए तक के ग्रांट के लिए किया गया है। जो बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल, बीआईआरएसी के बिग यानी बायोटेक्नोलॉजी इग्निशन ग्रांट के तहत दिया जाएगा। प्रमोद प्रिय रंजन पिछले एक साल से देश में डिजाइन किए गए पहले इनोवेटिव मेंस्ट्रुअल कप पर काम कर रहे हैं। जो इको फ्रेंडली, हाइजेनिक, इकोनोमिकल व कंफर्टेबल होगा। प्रमोद ने बताया कि इस ग्रांट के लिए जनवरी में अप्लाई किया था। जिसमें अपने प्रोडक्ट से संबंधित सारी जानकारियां साझा की थी। इसके बाद जून 2020 में इंटरव्यू हुआ। और अब जाकर यानी नवंबर में इसका रिजल्ट आया है। जिसमें हमारे स्टार्टअप को सेलेक्ट किया गया है।
बिटा टेस्टिंग के लिए 1000 महिलाओं काे दिया जाएगा मेंस्ट्रुअल कप
इस प्रोडक्ट का रांची में ही बिटा टेस्टिंग किया जाएगा। जिसके तहत लगभग 1000 महिलाओं को यह मेंस्ट्रुअल कप दिया जाएगा। जिसके बाद उनसे फीडबैक लिया जाएगा। प्रमोद की स्कूलिंग डीपीएस, रांची से हुई है। इसके बाद एमआईटी इंस्टिट्यूट ऑफ डिजाइन, पूणे से बैचलर ऑफ डिजाइन की डिग्री ली। इस स्टार्टअप में प्रमोद के सहयोगी अलोमी के पारिख और श्रेया येंगुल हैं। वहीं धिमांत पांचाल, नचिकेत ठाकुर व रेणू व्यास मेंटोर हैं।
तीन पार्ट में मिलेगा ग्रांट
यह ग्रांट उनके स्टार्टअप के लागत के अनुसार मिलेगा। प्रमोद ने बताया कि उनके स्टार्टअप का बजट 32 से 35 लाख रुपए का है। जो तीन पार्ट व माइलस्टोन में बंटा है। पहले माइलस्टोन में डिजाइन को पूरा करना है। दूसरे माइलस्टोन में प्रोडक्ट के कई साइज बनाए जाएंगे, साफ करने वाला उपकरण बनाया जाएगा। वहीं तीसरे माइलस्टोन में मेडिकल सर्टिफिकेशन व यूजर टेस्टिंग पर काम करना है।
क्या है खासियत
इस मेंस्ट्रुअल कप को इस्तेमाल करने में आसान बनाया गया है। मेंस्ट्रुअल कप को लगाते व निकालते समय ब्लड गिरने की संभावना कम रहती है। यह कप ब्लड कलेक्ट करती है, ब्लड को एब्जॉर्ब नहीं करता। लगभग 700 सेनेटरी नैपकिन के बराबर एक मेंस्ट्रुअल कप है। एक कप को 5 साल तक इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे इको फ्रेंडली, हाइजेनिक, इकोनोमिकल के साथ-साथ कंफर्टेबल बनाया गया है।
ऐसे मिला आइडिया
प्रमोद ने बताया कि 2018 में कॉलेज में पढ़ाई के दौरान एक एनजीओ से मिला जो सेनेटरी पैड्स को बर्न करने को लेकर काम करती थी। इससे बड़ी मात्रा में धुआं निकलता था। इसे देख कर मैंने अपने कुछ फिमेल फ्रेंड्स से बात किया तो मेंस्ट्रुअल कप के बारे में पता चला। साथ ही इसकी कमियों के बारे में भी जानकारी मिली। वहीं से इस पर काम करने का मन बनाया। अपने आइडिया को इन्क्यूबेशन सेंटर में पीच किया। जहां इसे सेलेक्ट किया गया। इसके बाद इस पर काम करना शुरु किया। हाल में ही इनके स्टार्टअप को नेशनल इनोवेशन चैलेंज 2020 में टॉप 14 फाइनलिस्ट में शामिल किया गया। वहीं प्रमोद को अटल इन्क्यूबेशन सेंटर एमआईटी की ओर से 50 हजार रुपए का ग्रांट मिल चुका है।
मेडिकल ग्रेड सिलिकोन से तैयार किया गया है
प्रमोद बताते हैं सर्वे के दौरान पता चला की मार्केट में उपलब्ध मेंस्ट्रुअल कप के इस्तेमाल में परेशानी हाेती है। उन खामियाें काे ध्यान में रखते हुए नए मेंस्ट्रुअल कप काे डिजाइन किया गया है। ताकि बिना परेशानी के इस्तेमाल की जा सके और इसकी सफाई भी आसानी से की जा सके। यह पूरी तरह से मेडिकल ग्रेड सिलिकोन से तैयार किया गया है।